Thursday, December 13, 2007

nice poem by kunwar narayan

शान्ति वार्ता
- कुन्वर नारायण

अल्लाहो अकबर
विनती है भगवन
अगर दो तो अनु-बम
ना ये गन, ना वो गन

ब्रह्मास्त्र दानम
रौकेट महानम
महाशून्य खड्डम
समझ गध्ध मद्धम

लडाकु विमानम
ना अन्नम न वस्त्रम
करे शास्त्र चर्चा
मगर होड शस्त्रम

हलाहल पचाये
मगर मुन्ह पे खीसम
करे शान्ती वार्ता
मगर दात पीसम

पुराणम कुराणम
सभी को प्रणामम
ना साखी न सब्दम
महायुद्ध त्थानम

ईसा ना इस्लाम
मार्क्ससम ना बुद्धम
ना मझहब ना धम्मम
परम सत्य युद्धम

परमाणु बम बम
तुम तुम ना हम हम
मिटाने और मिटने मे
हम कम ना तुम कम

ना पश्चिम ना पूर्वम
नकारम भविष्यम
विस्फोट सफ़लम
निराकर विश्वम!
निराकर विश्वम!!

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